Wednesday, 28 July 2021

Output Device क्या है ?

 

दोस्तों आज हम इस पोस्ट में विस्तार से जानेंगे  Output Device क्या है ? Output Device कौन कौन से है   ?  


Output Devices/Unit

Output Device उन पेरिफेरल को कहा जाता है जो कंप्यूटर के इनपुट डिवाइस द्वारा  दिए गये निर्देशों को प्रोसेसिंग होने के बाद उसका परिणाम हार्डकापी के रूप में (प्रिंटर) या सॉफ्ट कॉपी (मॉनिटर) दिखता है l कंप्यूटर में विभिन्न प्रकार के आउटपुट डिवाइसेस है।सॉफ्टकॉपी वह आउटपुट होता है जो यूजर्स जो मानिटर पर दिखता है व हार्ड कॉपी  वह आउटपुट होता है जो यूजर्स को प्रिंट होकर पेपर पर प्राप्त होता है l 


" वह डिवाइस जिस पर इनपुट किये गये डेटा/ निर्देशों का परिणाम प्राप्त होता है आउटपुट डिवाइस कहलाता है l  "


 कुछ आउटपुट डिवाइस प्रकार है।

  • मॉनिटर (Monitor)
  • प्रिंटर (Printer)
  • प्लॉटर (Plotter)
  • स्पीकर ( Speakar)

Monitor or VDU- (Visual Display Unit)

मॉनिटर एक मुख्य आउटपुट डिवाइस है, यह किसी टी.वी. स्क्रीन की तरह ही होता है जो ग्राफिक एवं टेक्स्ट को अपने स्क्रीन पर प्रदर्शित करता है । यह प्राप्त परिणामो को सॉफ्ट कॉपी के रूप में दिखता है l मानिटर पर चित्र छोटे छोटे बिन्दुओं से मिलकर बना होता है जिन्हें हम पिक्सेल ( Pixels) के नाम से जानते हैं l display resolution हमे अच्छा graphics दिखाने में मदद करता है l  Resolution जितना अच्छा होगा Picture व Graphics उतना ही स्पष्ट होगा l 
कुछ मॉनिटर निम्नलिखित है:

CRT Monitor (Cathode Ray Tube) :- सबसे पहले उपयोग होने वाला मॉनिटर  CRT (cathode ray tube) ही था .ये cathod ray tube बिल्कुल vacuum tube की तरह होती है, जिसके एक side में electron gun और दूसरे side में एक fluorescent screen लगी होती है. इसमें डेटा को Elrctron gun के द्वारा मॉनिटर की स्क्रीन पर भेजा जाता है . Elrctron gun डेटा को  Electron में बदलता है और यह Electron fluorescent screen पर टकराता है और वह चमकने लगता है जिससे चित्र ( Picture ) दिखाई देने लगता है  l  यह दो प्रकार का होता है 

  1. Monochrome :- यह Black & White Picture बनाता है l 
  2. Colour :- यह Colour Picture बनाता है l 

CRT Monitor


LCD Monitor (Liquid crystal display) :- आजकल की display technology में LCD यानी liquid crystal display का इस्तेमाल सबसे अधिक होता है. इन monitor को liquid और solid matter के combination से बनाया जाता है. इसमें दो प्लेट होती है जिनके बीचमें  liquid भरा रहता है व जब प्लेट के पीछे से लाइट निकलता  है तो liquid Align ( तरल संरेखित) होकर चमकते है जिससे picture दिखाई देने लगता है l 

LCD Monitor


LED Monitor (Light Emitting Diode) :-  ये आज की सबसे नई तकनीक है या इसे हम LCDs monitor का upgrade version भी कह सकते है. इनमे back-lighting के लिए LED (light-emitting diodes) का उपयोग किया जाता है. LED और LCD के बीच सिर्फ backlighting का difference होता है. जिससे इसकी Picture Quality बेहतर होती है l LED को हिंदी में प्रकाश उत्सर्जक डायोड कहा जाता है

   
LED Monitor

                                       

                                           प्रिंटर ( Printer)

प्रिंटर एक मुख्य आउटपुट डिवाइस है । प्रिंटर एक पेरिफेरल डिवाईस है . जो हमारे डाटा व सुचना ( Text ,Graphics,Image ) को किसी कागज पर हार्डकॉपी के रूप में बदलता है l  यह Black & White व Colour दोनों तरह के document को Print कर सकता है l प्रिंटर की Quality को DPI (Dots Per Inch) में मापी जाती है। प्रिंटर्स मुख्यतः दो प्रकार के होते है

इम्पैक्ट  प्रिंटर (Impact Printer )  :- इम्पैक्ट प्रिंटर यह टाइपराइटार की तरह कार्य करता है जो हैमर्स  या पिन्स(Pins) को एक रिबन पेपर पर स्ट्राइक करते है जिससे टेक्स्ट प्रिंट होता है ।  ये प्रिंटिंग के समय बहुत शोर करते हैं।इनका प्रयोग कम होता है ।  इम्पैक्ट प्रिंटर तीन प्रकार के होते है। 

१ - Dot Matrix Printer  

२- Line Printer 

3- Daisy Wheel Printer

Impact Printer


Dot Matrix Printer :- यह प्रिंटिंग करते समय बहुत शोर करता हैं इस प्रिंटर के प्रिंट हैड (Print Head) में अनेक पिनो (Pins) का एक मैट्रिक्स (Matrix) होता है और प्रत्येक पिन के रिबिन (Ribbon) और कागज (Paper) पर स्पर्श से एक डॉट (Dot) छपता हैं अनेक डॉट मिलकर एक कैरेक्टर बनाते (Character) है. इस प्रिंटर की प्रिंट क्वालिटी (Quality) अच्छी नहीं होती हैं

Line Printer :-  Line printer के द्वारा एक बार में एक पूरी line print होती है l यह भी एक प्रकार के impact printer होते है जो की कागज पर प्रेशर डाल कर एक बार में पूरी लाइन को print करते है l इसलिए इसे line printer कहते है l Line printer की printing की quality अच्छी नही होती है लकिन इसकी print करने के गति काफी तेज होती है l

Daisy Wheel Printer :- इसमे कैरक्टर की प्रिंटिंग टाइपराइटर की तरह होती है। इसका आउटपुट Dot Matrix Printer की अपेक्षा अधिक विश्वसनीय होती है। डेजी व्हील प्रिंटर (Daisy Wheel Printer) धीमी गति का प्रिंटर है इसका उपयोग पत्र (Letter) आदि छापने में होता है और यह लैटर क्वालिटी प्रिंटर (Letter Quality Printer) कहलाता है।

नॉन- इम्पैक्ट प्रिंटर (Non-Impact Printer) :नॉन - इम्पैक्ट प्रिंटर थर्मल(Thermal), केमिकल(Chemical), इलेक्ट्रोस्टेटिक (Electrostatic) लसरबीम (Laser beam), या इंक्जेक्ट टेक्नोलॉजी (Inkjet Technology ) का प्रयोग टेक्स्ट प्रिंट करने के लिए करते है।  आमतौर पर एक नॉन-इम्पैक्ट टाइप का प्रिंटर इम्पैक्ट टाइप के प्रिंटर से प्रिंट करने की स्पीड अधिक होती है। जैसे- Laser Printer, Inkjet Printer, Thermal Printer.

Non Impact Printer


Laser Printer :- यह तीव्र गति से प्रिंट करने वाला पेज प्रिण्टर है । लेजर प्रिण्टर में लेजर बीम की सहायता से ड्रम पर आकृति बनती है । यह थर्मल तकनीक पर काम करता है । ये दो प्रकार के होते है मोनो और स्मीन । इसकी गुणवत्ता और स्पीड दोनो बाकी प्रिण्टरों की तुलना में काफी बेहतर होती है

Inkjet Printer :- यह नॉन इम्पैक्ट कैरेक्टर प्रिण्टर है । यह इंकजेट तकनीक पर कार्य करता है । ये दो प्रकार के होते हैं मोनो और रंगीन । इसमें स्याही के लिए कार्टरिज ( cartridge ) को लगाया जाता है । स्याही को जेट की सहायता से छिड़ककर कैरेक्टर तथा चित्र प्राप्त होता है । इसकी गुणवत्ता तथा स्पीड दोनों कम होते हैं तथा इसमें प्रिण्टिग खर्च भी ज्यादा आता है ।

Thermal Printer : इसमें थर्मोक्रोमिक ( Thermochromic ) कागज का उपयोग किया जाता है। जब कागज थर्मल प्रिण्ट हैड से गुजरता है तो कागज के ऊपर स्थित लेप ( coating ) उस जगह काला हो जाता है जहाँ यह गर्म होता है तथा प्रिण्ट प्राप्त होता है । यह डॉट मैट्रिक्स प्रिण्टर की तुलना में तेज तथा कम शोर करने वाला होता है । इसमें प्रिण्ट की गुणवत्ता ( Quality ) अच्छी होती है ।

 प्लॉटर(Plotter) 

प्लॉटर भी एक आउटपुट डिवाइस है जिसका । जिसका प्रयोग बड़ी ड्राइंग जैसे Map, बैनर, ग्राफ, सर्किट डायग्राम को प्रिंट करने में किया जाता है ये प्रिंटर की तरह ही कार्य करते हैं बस प्रिंटर की तुलना में बड़े होते हैं l 

Plotter


प्रोजेक्टर (Projector) 

प्रोजेक्टर भी एक आउटपुट डिवाइस हैं प्रोजेक्टर का प्रयोग चित्र या वीडियो को एक प्रोजेक्शन स्क्रीन पर देखने के लिए किया जाता हैं । इसका प्रयोग क्लास रूम, सेमिनार,मूवी इत्यादि जगह किया जाता है l  प्रोजेक्टर निम्नलिखित प्रकार के होते हैं – 1. वीडियो प्रोजेक्टर 2. मूवी प्रोजेक्टर 3. स्लाइड प्रोजेक्टर. 

Projector


स्पीकर (Speaker) 

यह भी एक प्रकार की आउटपुट डिवाइस है। जो कम्प्युटर से प्राप्त आउटपुट को आवाज के रूप में सुनाती है। यह कम्प्युटर से डाटा विधुत धारा के रूप में प्राप्त करती है। स्पीकर को कंप्यूटर से जोड़ने के साउंड कार्ड की आवश्यकता होती है l स्पीकर electromagnetic तरंगों को ध्वनि तरंगों में बदलता है l 

Speaker





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Tuesday, 27 July 2021

Input Device क्या है ?

 

दोस्तों आज हम इस पोस्ट में विस्तार से जानेंगे  Input Device क्या है ? Input Device कौन कौन से है   ? 



Input Devices/Unit


वह Electronic Device  जिसके द्वारा हम कंप्यूटर डेटा व निर्देश प्रदान करते हैं इनपुट डिवाइस खलती हैं , जिससे आप कंप्यूटर से संपर्क कर सकते हैं और उसे नियंत्रित कर सकते हैं।यह  एक कंप्यूटर पर डेटा भेजने के लिए उपयोग किया जाने वाला हार्डवेयर या बाह्य उपकरण है. कुछ महत्त्वपूर्ण इनपुट उपकरण निम्न हैं :-

 

Keyboard - ( की- बोर्ड ) :- ह कंप्यूटर का मुख्य इनपुट डिवाइस है जिसकी सहायता से कंप्यूटर में डेटा Input किया जाता है। यह एक सामान्य टाइपराइटर की तरह दिखता है l कीबोर्ड का आविष्कार क्रिस्टोफर लैथम शोलेज” ( Christopher Latham Sholes) ने किया था। इसका प्रयोग अधिकतर टेक्स्ट को लिखने के लिए किया जाता है l  Keyboard का हिंदी में मतलब कुंजीपटल होता है। समान्यतः कम्प्युटर मे 104 बटन होते हैं।

 कीबोर्ड में कुल छः प्रकार के keys मौजूद होते हैं:

1.   Alpha numeric keys: इस keys के अंतर्गत सभी alphabet keys or numbers keys आते हैं जैसे A to Z, a to z , 0 – 9.

2.   Numeric keys: इस keys के अंतर्गत right side वाले number keys आते हैं और उसके साथ साथ Enter keys भी मौजूद होता है जैसे 0 – 9 (Enter). इस keys को lock या unlock करने के लिए Num Lock का button available रहता है|

3.   Function Keys: इस keys के अंतर्गत F1 से F12 तक के keys आते हैं और सभी keys का इस्तेमाल अलग अलग purpose के लिए यानि की अलग अलग काम के लिए किया जाता है| जैसे F1 का काम help box open करने के लिए होता है|

4.   Special purpose keys: यह keys multimedia keyboard में सबसे ऊपर में available होते हैं| Multimedia keyboard वैसे keyboard को कहा जाता है जिसमें volume को increase / decrease करने के लिए अलग से बटन दिया हुआ हो| इस keys का उपयोग special work के लिए होता है जैसे volume button.

5.   Cursor Movement keys/ arrow keys:  इसमे चार arrow keys available होते हैं जैसे की Up, Down, Left, Right. इन सभी keys का काम cursor को move कराने का के लिए होता है|

6.   Modifier Keys: इस keys के अंतर्गत Shift, Ctrl, Alt, Capslock इत्यादि keys आते हैं |

Keyboard 


 Mouse- माउस :- Mouse एक इनपुट डिवाईस है, जिसे Pointing Device के नाम से भी जानते है । Mouse का उपयोग मुख्यत: कम्प्युटर स्क्रीन पर फाइल, फोल्डर ,आइकन  (Icon ) को सेलेक्ट करना उन्हे खोलने ( Open ) एवं बदं ( Close )करने में किया जाता है. Mouse में आमतौर पर दो या तीन बटन होते है, जिन्हें Right , Left Click और तीसरे बटन को जो दोनों के बीच में होता है उसे Scroll कहते है। माऊस की खोज C.Douglas Engelbart ने 1964 में किया।

माऊस मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते हैं।

  1. Mechanical mous
  2. Optical Mouse
  3. Wireless Mouse

Wireless & Wire Mouse


Scanner- स्कैनर :- Scanner एक input Device है,जिसके द्वारा हार्ड कॉपी  picture, photo, text etc. को स्कैन करके Computer मे digital form में save कर सकते हैं। जिस तरीके से हम printer का इस्तेमाल प्रिंट निकालने के लिए करते हैं जिससे हम black, white या फिर colorful प्रिंट निकलते हैं, उसी तरीके से हम Scanner की मदद से भी बहुत ही आसानी से black, white और colourful किसी भी document को स्कैन कर के computer मे save कर सकते हैं. स्कैनर निम्न प्रकार के होते हैं l 

  1.   Flatbed Scanne  
  2. Handheld Scanne
  3.  Drum Scanner

Scanner


Joystick ( जॉयस्टिक ):- जॉयस्टिक एक और इनपुट डिवाइस है जिसका उपयोग CAD(कम्प्यूटर एडेड डिजाइन) और पीसी गेम खेलने के लिए किया जाता है।यह ट्रैक बाल की तरह कार्य करता है  जॉयस्टिक को आप दाए , बाए ,ऊपर ,निचे घुमा सकते हैं इसलिए आपको कंप्यूटर गेम्स खेलते समय आसानी हो |

Joystick

 Light pen :- यह  एक Pointing device होता है जिसका उपयोग डिस्प्ले स्क्रीन से ऑब्जेक्ट को select करने मे व ग्राफिक डिज़ाइन करने व ग्राफिक draw करने मे किया जाता है जैसे Computer Screen पर Light Pen के द्वारा कुछ draw करने के लिए| यह Simple Pen की तरह ही होता है l 

Light Pen


OMR (Optical Mark Reader)- OMR एक input device होता है जिसका इस्तेमाल OMR sheet को read करने के लिए किया जाता है| OMR sheet मतलब की answer sheet में pencil से dark किया गया option को OMR scanner scan करता है यानि की read करता है और फिर उस mark को electrical signal के रूप में change कर देता है और उसके बाद उसको me mory में store कर देता है| यह प्रतियोगी परीक्षा के लिए उपयोगी होता है |


OMR


OCR (Optical Character Reader) :OCR का full form “Optical Character Reader” or “Optical Character Recognitionहोता है| यह एक input device होता है जिसका इस्तेमाल पेपर पर लिखे गए handwritten text या image या computer के द्वारा printed text और image को machine encoded format में convert करने के लिए किया जाता है| इसका उपयोग paper में लिखे गए text को read करके computer के memory में store करने के लिए होता है|

OCR


BCR (Barcode Reader) :- यह एक Non Pointing input device होता है जिसका इस्तेमाल Barcode lines में छुपे हुए code को read करने के लिए होता है| Barcode एक black कलर का vertical (खड़ा) line होता है जिसके अन्दर बहुत सारी जानकारी hidden (छुपी) हुयी रहती है जैसे Product name, Product price, Product cost, Batch no. , company name etc.

BCR


MICR (Magnetic Ink Character Recognition) :- MICR एक input device होता है जिसका इस्तेमाल magnetic ink से लिखा गया text को read करने के लिए किया जाता है| यह एक character-recognition technology है मतलब की यह character को पहचानने का एक तकनीक है जो की magnetic ink के द्वारा लिखा गया होता है| यह technology banking sector में cheque clearance करने के लिए उपयोग होता है|

MICR


Web Camera :- Web camera input device होता है| वेब कैमरा वैसे कैमरा को कहा जाता है जिसे आप अपने computer या laptop से connect करके image capture करने के लिए या फिर video conferencing के लिए इस्तेमाल करते हैं| Web camera को आप computer से wire के through connect कर सकते हैं या फिर wireless web camera भी इस्तेमाल कर सकते हैं |

 

Web camera

Touch screen :- यह भी एक इनपुट डिवाइस होता है यह Electronic Visual Display है इसमें एक विशेष प्रकार की machanism होती है जो यूजर्स को अपनी उंगलियों की सहायता से कंप्यूटर के साथ जुड़ने करने की अनुमति देता है।टच स्क्रीन ज्यादातर फ़ोन तथा अन्य devices पर प्रयोग किया जाता है।

Touch Screen

Trackball :- यह एक  Pointing Device है इसका प्रयोग माउस की तरह किया जाता है l इसके में एक Ball होती है जिसे उंगलियों की मदद से घुमाकर कर्सर को नियंत्रित किया जाता है l इसका प्रयोग CAD (Computer Aided Design ) वर्कस्टेशन व CAM ( Computer Aided Manufacturing ) वर्कस्टेशन  Sonar System, Air Traffic Control Room में किया जाता है l 

 

Trackball


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Sunday, 25 July 2021

कंप्यूटर की पीढियां व कंप्यूटर के प्रकार ?

 

दोस्तों आज हम इस पोस्ट में विस्तार से जानेंगे कंप्यूटर की पीढ़ियां ? कंप्यूटर के प्रकार  ? 


Generation of Computer (कम्प्युटर की पीढ़ियां)

          
          कंप्यूटर के Generation को मुख्य  रूप से पाँच भागों मे बांटा गया है l

 

               First Generation 

  •  इस Generation के कम्प्युटर मे Vaccume Tube use किया गया था l
  • Storage Device के रूप मे Magnetic Drum का प्रयोग किया गया था l
  • इसकी गति 333 माइक्रो सेकेण्ड थी l 
  • Input देने के लिए Punch Card , Paper Tape का प्रयोग किया गया था l
  • इस जनरेशन में बैच ऑपरेटिंग सिस्टम व मशीनी भाषा का प्रयोग हुआ 
  • इस जेनेरेशन के मुख्य कम्प्युटर ENIAC, EDVAC, UNIVAC, IBM-701 ect. हैं l
  • ENIAC- विश्व का पहला इलेक्ट्रोनिक कम्प्युटर था इसका आविष्कार 1946 में J. Prosper   Eckert & John Mauchly ने किया l

 

First Generation Computer

Second Generation

  •  इस Generation के कम्प्युटर मे Vaccume Tube के स्थान पर Transistor use किया गया   था l Transistor का आविष्कार William Shockley ने 1947 मे किया था l
  • इसकी गति 10 माइक्रो सेकेण्ड थी l
  •  Input देने के लिए Punch Card, Paper Tape का प्रयोग किया गया था l
  • Storage Device के रूप मे Magnetic Tap व टाइम शेयरिंग ऑपरेटिंग सिस्टम का प्रयोग किया गया था l
  •  असेम्बली भाषा व उच्च स्तरीय भाषा (High Level Language) use किया गया था l
  • इस जेनेरेशन के मुख्य कम्प्युटर IBM-1620, IBM-1401, IBM-7094, CDC-1604 ect. हैं

Second Generation Computer

Third Generation

  •  इस Generation के कम्प्युटर मे Transistor के स्थान पर IC ( Integrated Circuits ) use किया गया था l    
  •  आविष्कार Jack Kilby ने 1959 मे किया था l
  • इसकी गति 100 नैनो सेकेण्ड थी l
  •  Storage Device के रूप मे Magnetic Disc, Magnetic core व रियल टाइम ऑपरेटिंग सिस्टम का प्रयोग किया गया था l
  •   Input देने के लिए Key-Board, Mouse का प्रयोग किया गया था l
  •  Output के लिए Monitor का प्रयोग किया गया था l
  •   High Level Language- Fortran, Cobol, Algol, Basic use किया गया था l
  •   इस जेनेरेशन के मुख्य कम्प्युटर IBM-360, IBM-370,Honey well, PDP ect. हैं l 

Third Generation Computer



 Fourth Generation

  •  इस Generation के कम्प्युटर मे LSIC use किया गया था l
  •  Operating System MS- Dos, MS- Windows use किया गया l
  •  High Level Language- C, C++ use किया गया था l
  •  इस जेनेरेशन के मुख्य कम्प्युटर IBM-4341,Star 1000, DEC ect. हैं l 

 


Fifth Generation

  •    इस Generation के कम्प्युटर मे ULSIC use किया गया था l
  •   High Level Language- ALL use
  • · इस जेनेरेशन के मुख्य कम्प्युटर- Desktop, Laptop, Note-Book

 


            Types of Computer ( कम्प्यूटर के प्रकार )

 

     अनुप्रयोग के आधार पर कम्प्यूटर प्रकार

  1.             Analog Computer
  2.             Digital Computer
  3.             Hybrid Computer

             उद्देश्य के आधार पर कम्प्यूटर प्रकार

  1.         General Purpose Computer
  2.         Special Purpose Computer

             आकार के आधार पर कम्प्यूटर प्रकार

  1.         Micro Computer
  2.         Mini Computer
  3.         Mainframe Computer
  4.         Supercomputer

 

               अनुप्रयोग के आधार पर कम्प्यूटर के प्रकार

 

Analog Computer :- जिनका प्रयोग भौतिक इकाइयों (दाब , तापमान , लंबाई ,आदि ) को मापकर उनको अंको में परिवर्तित करते है। ये कंप्यूटर किसी भी राशि का मापन तुलना के आधार पर करते है। इस कम्प्यूटर की कार्यक्षमता तेज होती है. इनका परिणाम हमें ग्राफ आदि के रूप में प्राप्त होता है. इनका प्रयोग विज्ञान व इंजीनियरिंग के क्षेत्रो में अधिक होता है जैसे - Thermometer Speedometer.

Digital Computer :-  इस श्रेणी में वे कंप्यूटर आते है जो अंको की गणना करते है l डिजिटल कंप्यूटर बाइनरी नंबर सिस्टम पर कार्य करता हैl डिजिटल कंप्यूटर डाटा और प्रोग्राम को 0 और 1 में परिवर्तित करके उसको इलेक्ट्रॉनिक रूप में ले जाते है। इनका प्रयोग व्यापर, एनीमेशन व अन्य जगहों पर किया जाता है  जैसे  - Desktop, Laptop, Mobile etc.

Hybrid Computer :- इन कंप्यूटर्स में एनालॉग कंप्यूटर और डिजिटल कंप्यूटर दोनों के ही गुण विधमान होते है ये कंप्यूटर अधिक विश्वशनीय होते है। इसके द्वारा भौतिक मात्राओ को अंको परिवर्तित करके उसे डिजिटल रूप में ले आते है इसका सर्वाधिक उपयोग चिकित्सा के क्षेत्र में अधिक किया जाता है जैसे  से- ECG, Dialysis machine etc

 

 आकार के आधार पर कम्प्यूटर प्रकार

 

Micro Computer :- इनका विकाश 1970 ई० से प्रारंभ हुआ जब CPU में माइक्रो प्रोसेसर का प्रयोग हुआ l  इसमें 8, 16, 32, या 64 बिट माइक्रो प्रोसेसर का प्रयोग होता है l ये आकार में भी सबसे छोटा , सस्ता एवं हल्का होता है l इसे Personal Computer भी कहा जाता है l यह Single User डिजिटल कम्प्युटर है l इस प्रकार के कम्प्यूटर को सामान्य उद्देश्य जैसे, मनोरंजन, शिक्षा, घर तथा कार्यालय इस्तेमाल आदि के लिए विकसित किया गया है. PCs, Notebooks, Laptops, PDAs (Personal Digital Assistants) आदि Micro Computer है.

 Mini Computer :- ये आकार मे Micro कम्प्युटर से बड़ा होता है।इसका अविष्कार 1965 ई० में डिजिटल इक्यूप्मेट कार्पोरेशन ( DEC ) नें किया l  ये Multi user होते है। इन कम्प्युटर मे एक से अधिक CPU होते है। इनकी कार्य करने की क्षमता माइक्रो कम्प्युटर से अधिक होती है।  इनका इस्तेमाल छोटे व्यवसाय तथा व्यावसायिक प्रतिष्ठानों द्वारा किया जाता है। Railway reservation system, banking transaction.

 Mainframe Computer :- ये आकार मे बहुत बड़ा और महंगा होता है । Mainframe computer के पास बहुत ज्यादा storage capacity होता है और साथ ही साथ इसका प्रोसेसिंग स्पीड भी तेज होता है। इसमें सामान्यत: 32, या 64 बिट माइक्रो प्रोसेसर का प्रयोग होता है l इस पर एक साथ सैकड़ो user एक साथ काम कर सकते है। इनका इस्तेमाल सरकारी प्रतिष्ठानों, बड़ी-बड़ी कम्पनियों द्वारा आँकड़ों को संग्रहित करने के लिए किया जाता है।

 Super Computer :- ये मानव द्वारा निर्मित अब तक का सबसे तेज और शक्तिशाली कम्प्यूटर है. इस कंप्यूटर में एक से ज्यादा CPU लगे हुए होते हैं जो की एक दुसरे के समानांतर work करते हैं| ये कम्प्यूटर आकार में बहुत विशाल एवं खर्चीले होते है. इनका उपयोग बड़े संगठनो द्वारा शोध कार्य, मौसम भविष्यवाणी, तकनीक आदि कार्यों में होता है. विश्व का प्रथम सुपर कम्प्युटर Cray- 1 था। जिसे Cray रिसर्च कंपनी द्वारा 1976 मे विकसित किया गया। भारत का प्रथम सुपर कम्प्युटर PARAM 8000 है । जिसे C-DAC कंपनी पुणे मे बनाया गया। इसके बाद PARAM 10000, आदित्य, अनुपम, परम युवा आदि सुपर कम्प्युटर बनाया गया।

 

उद्देश्य के आधार पर कम्प्यूटर प्रकार

 

General Purpose Computer :- आज जो कम्प्यूटर हम उपयोग करते है वे सभी लगभग General Purpose Computer ही होते है. इस प्रकार के computer में हम letter, document, game playing, watching movie, listening audio इत्यादि प्रकार के काम को perform कर सकते हैं| General purpose computer को तरह तरह के कामों को perform करने के लिए design किया गया है

 Special Purpose Computer :- इस प्रकार के कम्प्यूटर किसी कार्य विशेष को करने के लिए विकसित किए जाते है. इनका कार्य केवल एक ही तरह के कार्य को करना होता है. इस प्रकार के computer के लिए CPU specially design किये जाते हैं |

 







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HS

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